Love lonely poetry। Mohabbat hai akelepan se
मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से,
जहां खुद से खुद की मेरी बात होती है
अपने आप से जहां मेरी मुलाकात हाेती है
मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से
जहां आसमां, पहाड़, पौधे मेरे साथ होते हैं
मुझे थामने को जहां तन्हाई के हाथ होते हैं
मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से
जहां अपने दिल की आवाज खुद सुनती हूं
अच्छे और बुरे विचारों को मैं चुनती हूं
मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से
जहां चिड़िया अपने साज गुनगुनाती है
जहां पत्तियां अपनी आवाज सुनाती हैं
मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से
जहां, पवन मुझे बाहों में भर झूला झुलाती है
जहां चांदनी खुद गाकर मुझे लोरी सुनाती है
मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से
जहां चांद, सितारों के बीच अकेला होता है
शांति होती है वहां, ना कोई मेला होता है
मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से
जहां कुछ बीते पलों की याद सताती है
तो मेरी सोच मंजिल का रास्ता बताती है
मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से
जहां हाेंठ मेरे बिन कहे भी गुनगुनाते हैं
जहां नयन मेरे बेवजह भी बरस जाते हैं
मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से
जहां मेरी कलम सिर्फ मेरा एहसास समझती है
और अल्फाज बनाकर उसे शायरी में कहती है
मोहब्बत है मुझे उस अकेलेपन से
--- तन्वी सिंह
दिलकश एहसास
ReplyDeleteअति उत्तम
ReplyDeleteWaah
ReplyDeleteवाह!!!!!! 👌👌👌👌👌
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