Judaai Poem|| Wo Meri Na Ho Saki

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उसे पाने की चाहत पूरी न हो सकी ,
हो गयी वो किसी और की मेरी ना हो सकी ,

ना मै बेवफा था,ना वो बेवफा थी ,
जानें क्यों जिंदगी हमसे खफा थी ,
रह गयी कमी शायद मेरे प्यार में,
ना थी कोई कमी मेरे यार में ,
उसकी आँखों से भी आँसू छलक रहे थे,
मोहब्बत भी साफ झलक रहे थे,
आँसुओं के उसके रोक न सका,
दूर उसके गम को कर ना सका,

उठ रही थी डोली,बज रही थी शहनाई,
अपने गम को वो जुबां पे ना लाई,
हो गयी फिर हम दोनों की जुदाई,
जुदा हो गई वो मेरी नजर से,
ना हो पाई जुदा मेरे जिगर से,
फिर भी खुदा से ये इबादत करता हु,
आबाद रखना उसे जिससे इतनी मोहब्बत करता हु।

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