Motivational Story । Ek nayi soch


ट्रेन जैसे ही रुकी उसकी नींद खुल गयी।यो घबरातें हुए खिड़की से बाहर देखा और शांत हो गया।अभी उसका स्टेशन नही आया था। साहिल जो अपने गाँव से graduationकरने के लिए शहर को जा रहा है।साहिल पढ़ाई में और हर काम में तेज था एक बड़े कॉलेज में उसका एडमिसन होता है।वो काफी खुश था। उसकी सारे लड़को से अच्छी जमती थी और उसके नम्बर भी अच्छे आते थे एक दिन उसे अचानक से पता चला की उसके कालेज का एक लड़का फेल होने की वजह से आत्महत्या कर लिया।वो काफी उदास सा था। दरसल वो लड़का साहिल के अच्छे दोस्तों में से एक था और उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नही था की वो ऐसा भी कर सकता है।और उसने कभी साहिल को कुछ बताया भी नही ।और साहिल ने गौर किया की कुछ दिनों में काफी लड़को ने फेल होने की वजह से आत्महत्या कर ली अक्सर वो न्यूज़पेपरों में पढ़ता कभी इस शहर तो कभी उस शहर में कोई न कोई ऐसी खबर मिल ही जाती।और इस बात से वो काफी परेशां सा हो गया था।वो अपने पढाई में भी ध्यान ही नही दे पा रहा था।बस अब खोया खोया रहने लगा।कुछ दिनों बाद साहिल के पापा उससे मिलने आएं और उन्हें ये समझते देर न लगा कि साहिल कुछ उदास और परेशां सा है।उन्होंने उससे उदासी का कारण पूछा ।और बदले में उतर के साहिल ने भी थोड़ा हिचकते हुए अपने पपा से सवाल ही पूछा की लोग असफल होने के बाद आत्महत्या क्यो करते है।।।
साहिल का हाथ अपने हाथों में लेते हुए उसके पपा ने कहा कि "बेटा जब लोग पूरी तरह से हार जाते हैं खुद को असहाय समझने लगते है जब कोई उम्मीद जब कोई आस नज़र नही आती तो लोग मौत का दामन थाम लेते हैं" साहिल फिर से एक सवाल पूछ बैठा कि बच्चे ऐसा क्यों करते हैं उनकी तो पुरी ज़िन्दगी बची रहती है फिर वो क्यों हार मान लेते हैं? पापा ने मुस्कुराते हुए कहा की इसी लिए तो बच्चे हमेशा नादान कहलाते है। दरसल वो डर जाते हैं लोगों से अपने दोस्तों से वो सोचते है की लोग क्या कहेंगे युवक दोस्त तो उनका मजाक बनाएंगे। और भी काफी कुछ और यही डर उन्हें अंदर अंदर कमजोर बनता है और खाये जाता है और वो ये नादानी कर बैठतें है जबकि उनमे से कुछ ये भी जानते हैं की ये सही नही है।ज़िन्दगी में दो चार असफलताएँ आती है और इससे हार मान कर हम ज़िन्दगी का फैसला नही कर सकते यु ही हमें हार नही मान लेनी चाहिए
तो बोलो बेटा यु मायूस होकर  सवाल करने से क्या होगा।पर हा तुम ऐसे बच्चों को जागरूक करना चाहते हो तो करो मैं हर तरह से तुम्हारे साथ हूँ।और मुझे यकीन है की तुम ऐसा करोगे तो लोग धीरे धीरे ही सही लोग तुम्हारा साथ देने लगेंगे।और साहिल ने जल्द ही इसकी शुरुआत कर भी दिया।उसने उस जिले के बी.एस.ए. के यहाँ एक अपील किया की सभी विषयों के साथ में इसके लिए भी एक स्पेशल् क्लास होनी चाहिए जिसमे बच्चों को असफलताओं  से लड़ने को यानि सकारात्मकता से जीने की कला सिखाने की जरुरत है।।।और उसकी एक छोटी सी पहल जो की एक जिले से शुरु हुई और उसे राज्य सरकार ने भी इसपे काम करने की सोची जिसके बजह से साहिल ने काफी लोगों में पहचाना जाने लगा।साहिल के कॉलेज़ के सामने एक और कॉलेज़ था जिसके बच्चे कभी फेल नही होते।।।
एक दिन सहिल की उस कॉलेज के लड़को से मार पीट हो गयी क्योंकि वो सब लड़कियो पर बुरे कमेंट कर रहे थे।और साहिल ने जब इसका विरोध किया तो उसे उन्होंने काफी मारा पीटा और और जाते जाते ये बोल गए कि "तू ही है वो लड़का न अबे तेरे कालेज के लड़के ऐसे ही फेल होतें रहेंगे और मरते रहेंगे तू बचा के दिखा कितनो को बचा सकता है तेरा कॉलेज़ हमारे कालेज जैसा नही है। जो सब पास हो जायेंगे साहिल ने ये सब बेवस होकर सुना उसे गुस्सा तो आया परन्तु वो उसने खुद पर काबू किया और और सोचने लगा की ऐसा क्या है इनके कालेज में जो ये इतना दावा कर रहें है और ये सच भी है कि उस कालेज के लड़के फेल भी नही होतें ।उसने एक तरकीब लगा कर अपने दोस्तों में से एक का दाखिला उसी कालेज में करा दिया और जब परीक्षा का समय आया तो आया तो उसके दोस्त को उस कालेज के नियमानुसार सुविधाशुल्क मतलब घुस देने के लिए कहा गया जैसा की सारे लड़कों ने किया पर उसके ऐसा न करने पर उसपे ये इलजाम लगाकर निकाल दिया की वो कालेज में स्मोक और ड्रिंक करता है और साथ ही और लड़को को करने के लिए उकसाता  है। और साहिल के उस दोस्त ने उसे ये सारी बात बताई उसने ये भी बताया कि जब कोई लड़का घुस नही देता तो उसे धमकाया जाता ही की उसे  उस कॉलेज़ से ऐसे निकाला जायेगा की दूसरे कॉलेज़ मे उसका दाखिला नही लेंगे और इस तरह उस लड़के का भविष्य बेकार हो जायेगा।और इसी डर से कोई भी लड़का मुह नही खोलता
साहिल ये सब सुनकर बर्दाश्त नही कर सका और और उस कालेज के प्रिंसीपल पे केस कर दिया।प्रिंसपल पैसे वाला था काफी बड़े बड़े लोगों तक उसकी पहुच थी उसने केश बंद करवा दिया।अगले दिन साहिल को principle ने साहिल को अपने कालेज में बुलाया और बेहद प्यारसे बोला की क्यों इन सब लफड़ों में पड़ते हो अभी बच्चे हो ये क्रोर्ट पुलिस तुहारे खेलने की चीज नही है पढ़ने आये हो पढ़ो और जाओ
क्यों अपनी ज़िन्दगी बर्बाद करने पे तुले हो साहिल मुस्कुराये और बोला क्यों सर आप डर गये क्या इस बच्चे से, वैसे भी डरता वोही है जो गलत होता है। फिर साहिल ने सर से बोला की क्यों न एक competitionकर लिया जाये आपके बच्चों से और हमारे।principal गुस्साया और बोला ये क्या बकवाश है साहिल बोला क्या सर आपको खुद वे विश्वाश नही या अपने बच्चों पे ।प्रिंसीपल मान गया पर उसने एक शर्त रखी की अगर तुम हार गए तो तुम ये शहर छोड़ के चले जाओगे और मैं हारा तो घुस लेना और शहर दोनों छोड़ दूंगा।और प्रिंसपल ने ये भी कहा की और तुम्हे ये कॉलेज़ भी बंद करवाना होगा।साहिल जब सबको बताया तो कोई इस शर्त को मानने को तैयार न था सारे बच्चे और teacher उसी पे गुस्सा होने लगे लेकिन साहिल को खुद पर और अपनी सच्चाई पे भरोसा था।सारे बच्चे साहिल से पूछने लगे उस कालेज के सारे लड़के टॉपर हैं हम उनसे  कैसे कॉम्पिटिसन करेंगे। साहिल ने कहा हम मिलकर पढेंगे बस भरोसा
रखो अपने आप पे दुसरे  कॉलेज़ के लड़के अपने अपने पढ़ाई में लग गए।सारे बच्चे मिलकर पढ़तें अपनी अपनी दुश्मनी भूल कर अपने अपने कालेज के लिये ।कॉम्पिटिसन के एक दिन पहले साहिल को दूसरे कॉलेज़ के लड़कों ने बहुत मारा ताकि वो कालेज न आ पाये  लेकिन इसे कालेज में देख  कर सबकी आखे  फटी रह गयी कॉम्पिटिसन हुआ और सहिल का कालेज जीत गया।शर्त  अनुसार प्रिंसपल को अपना कॉलेज छोड़ कर जाना था प्रिंसप्ल ने हाथ जोड़कर बच्चों से माफ़ी माँगा और साहिल के पास जब माफ़ी मांगने गए तो साहिल उनका हाथ पकड़ कर बोला की सर मेरा मकसद आपको नीचा दिखाना नही था बल्कि ये बताना की आप गलत रास्ते पर हैं आप अपनी reputation  बचाने के लिए बच्चों की ज़िन्दगी ख़राब कर रहें थे आप शिक्षा को नही पैसे को अहमियत दे रहे थे आप ये घुस लेने के बजाय आप सारे प्रोफेसर को समझाये की वो बच्चों को इस तरह पढ़ायें कि बच्चे पैसे से नही बल्कि अपनी काबिलियत से पास करके दिखाये सर आप प्राचार्य हैं अगर आप ऐसा करेंगे तो हम लोगों का क्या होगा अगर शिक्षक ही शिक्षा के बजाय पैसों को अहमियत देगा तो किससे सीखेंगे।हमारे माँ पिता जी हमें कालेज भेजतें है की ताकि हम यहाँ काफी कुछ सीख सके टीचर और प्रोफ़ेसर वो आप लोगो पे  भरोसा  करके! शिक्षक का फर्ज होता हैं कि अगर किसी बच्चे के पास पैसा नही है तो आप उसे फिर भी शिक्षा देय न की पैसा दोगे तभी पढ़ाऊंगा।ऐसे तो आपने तो पैसो को अहमियत देकर शिक्षा को छोटा कर दिया सर हम लोगों का future तो आप सब के हाथ में होता है सर  आप लोगों का तो फर्ज होता है की हम सबकी  ज़िन्दगी सवंरना।प्रिंसपल ने साहिल को गले से लगा लिया  और साहिल की जयजयकार होने लगी और अंत में उसने दो बातें कही ।
1.* "किसी की काबिलियत को आप पैसों से नही खरीद सकतें".*
2.*आत्महत्या नही असफ़लता का हल, हम चलें गये तो कैसे बदलेगा हमरा कल।

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