Intezar poem । Mera Intejar
कभी जो गुजरोगे मेरी गली से तुम......
पलके उठा मेरे आशियाने का दीदार कर लेना।।
जो ना दिखूं मैं तुझे थोड़ी देर वहां........
कुछ देर होकर खड़े मेरा इंतजार कर लेना।।
आ जाऊं जो अपने बरामदे में मैं......
नजरें उठाकर मुझसे आंखे दो-चार कर लेना।।
जो पड़े तुझ पर नजर किसी की......
बहाने उससे तुम अपने हजार कर लेना।।
तेरी एक झलक से सुकून मिलता है......
हर दिन तू मेरी गली यू ही पार कर लेना।।
आऊंगी जरूर तेरी आंखों में मोहब्बत देखने....
इतना तो यकीन मुझ पर मेरे यार कर लेना।।
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