Dard shayari । Wo dard ki ghadi thi

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जाने वो कैसी दर्द की घड़ी थी!
जब मै तुमसे मिल के बिछड़ी थी!! 

हर दिन वक्त गुजारती हूँ वहाँ! 
जिन राहों पे तेरे साथ खड़ी थी!! 

मिल रही थी जब आँखे हमारी! 
कुछ वक्त के लिए तो मैं डरी थी!! 

तेरी यादें मुझे तड़पाती हैं आज भी! 
तेरी मुहब्बत दिल मे जो पड़ी थी!! 

तेरी बातें ही मुझे देती है तसल्ली !
क्योंकि तेरी बातों पे ही मैं मरी थी!!

भीगी भी थी हम दोनों की पलकें! 
जब-जब मै तुम्हारे साथ लड़ी थी!! 

न देख पायी तुझे जाते हुए हमदम! 
ये आँखें आँसुओं से जो भरी थी!! 

जब छोड़ दिया मैंने  साथ तुम्हारा! 
कैसे बताऊं वो चोट कितनी हरी थी!! 

हमने तोड़ दिया दिल तुम्हारा क्योंकि! 
खून के रिश्तों को मुझसे उम्मीदें बड़ी थी!!

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